YDMS चर्चा समूह

Monday, March 14, 2022

काश्मीरी पंडितों की 33 वर्ष पूर्व की पीड़ा, The Kashmir Files.

The Kashmir Files | Official Trailer I Anupam I Mithun I Darshan I Pallavi I Vivek I 11 March 2022 *👉🌟1/49, शर्मनिरपेक्ष संविधान व शोधन:👈* *▶DD-Live YDMS👑 दूरदर्पण* *युदस नदि 14 मार्च 2022:* काश्मीरी पंडितों की 33 वर्ष पूर्व की पीड़ा, जिसे कांग्रेस ने बोया, सींचा और पाला पोसा। जिसे देखकर, उस पीड़ा को हर मानव अनुभव करेगा। t.me/ydmsjhj The Kashmir Files | Official Trailer I Anupam I Mithun I Darshan I Pallavi I Vivek I 11 March 2022. A must seen film based on real stories about tragedy of Kashmiri pandit faced about 33 year back. -तिलक रेलन आज़ाद वरिष्ठ पत्रकार संपादक युगदर्पण मीडिया समूह YDMS👑 https://youtube.com/playlist?list=PL3G9LcooHZf2U_6apbxRZdpCpvLeIsN2w फिल्म फैशन क्लब फंडा :--(चमकता काला सच)|

Friday, May 16, 2014

17, मई 2014 आज 19 वीं पुण्य तिथि पर श्रद्धा सुमन

17, मई 2014 आज 19 वीं पुण्य तिथि पर श्रद्धा सुमन 
19 वीं पुण्यतिथि वैशाख कृ तृतीया शनिवार 17 मई 2014 
माँ, जो गर्भ से मृत्यु तक, हर पल अपने बच्चों के हर दुःख सुख की साथी, जिसकी गोद हर पीड़ा का हरण करती है। माँ तो बस माँ होती है, बच्चों में उसकी जाँ होती है। बचपन ही नहीं वृद्धावस्था व् जीवन के अंत तक हर पल जब भी तुझे स्मरण करता हूँ भाव विहल हो जाता हूँ। माँ, तेरी याद बहुत आती है, .... अब मेरे दामाद सिद्धार्थ, बहु शालिमा व एक नन्हा नाती अद्विक भी हैं; पर माँ, तेरी याद बहुत आती है।।  तिलक- संपादक युग दर्पण मीडिया समूह, 9911111611, 9910774607, 7531949051फिल्म फैशन क्लब फंडा :--(चमकता काला सच)|

Tuesday, April 1, 2014

नव संवत 2071, चैत्र प्रतिपदा

नव संवत 2071, चैत्र प्रतिपदा की शुभकामनाएं। आप सभी को सपरिवार मंगलमय हो। 
अंग्रेजी का नव वर्ष भले हो मनाया,
उमंग उत्साह चाहे हो जितना दिखाया;
विक्रमी संवत बढ़ चढ़ के मनाएं,
चैत्र के नवरात्रे जब जब आयें।
घर घर सजाएँ उमंग के दीपक जलाएं;
खुशियों से ब्रहमांड तक को महकाएं।
यह केवल एक कैलेंडर नहीं, प्रकृति से सम्बन्ध है;
इसी दिन हुआ सृष्टि का आरंभ है। 
 तदनुसार 31 मार्च 2014, इस धरा के वराह कल्प की   1955885114वीं वर्षगांठ तथा इसी दिन सृष्टि का शुभारंभ   हुआ. आज के दिन की प्रतिष्ठा ?
1. भगवान राम का जन्म एवं कालांतर में राज्याभिषेक.  2. युधिस्ठिर संवत का आरंभ  3. विक्रमादित्य का दिग्विजय सहित विक्रमी संवत 2070 वर्ष पूर्व आरंभ  4. वासंतिक नवरात्र का शुभारंभ  5. शिवाजी महाराज की राज्याभिषेक6. राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ  के संस्थापक डॉ  
केशव बलिराम हेडगेवर जी का  जन्म  7. आर्य समाज की स्थापना भी वर्षप्रतिपदा को हुई।  देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसे गुडी पडवा,   उगादी, दुर्गा पूजा आदि के रूप में मनाते है। ईश्वर हम सबको ऐसी इच्छा शक्ति प्रदान करे, जिससे हम अखंड माँ भारती को जगदम्बा का स्वरुप प्रदान करे। 
धरती मां पर छाये वैश्विक ताप रुपी दानव को परास्त करे... और सनातन धर्म की जय हो।..
युगदर्पण परिवार की ओर से अखिल विश्व में फैले हिन्दू समाज सहित,चरअचर सभी के लिए गुडी पडवा, उगादी,
नव संवत 2071 , चैत्र प्रतिपदा की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं
जय भबानी,  जय श्री राम,  भारत माता की जय.
जब नकारात्मक बिकाऊ मीडिया जनता को भ्रमित करे,  तब पायें - नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक 
व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प- युगदर्पण मीडिया समूह YDMSहिंदी साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र2001
से पंजी सं RNI DelHin 11786/2001 (Join YDMS ;qx&niZ.k विशेष प्रस्तुति विविध विषयों के 28 ब्लाग, 
5 चैनल  अन्य सूत्र।) की 60 सेअधिक देशों में एक वैश्विक  पहचान है।
जागो और जगाओ!  जड़ों से जुड़ें, 
युगदर्पण मीडिया समूह YDMS से जुड़ें!!  इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,  बन कर। 
विश्व कल्याणार्थ भारत को विश्व गुरु बनाओ !!!     যুগ দর্পণ, યુગ દર્પણ  ਯੁਗ ਦਰ੍ਪਣ, யுகதர்பண  യുഗദര്പണ  యుగదర్పణ  ಯುಗದರ್ಪಣ, يگدرپयुग दर्पण:,  ;qx&niZ.k yugdarpan
Media For Nation First and last. राष्ट्र प्रथम से अंतिम, आधारित मीडिया YDMSतिलक -समूह संपादक 
युग दर्पण मीडिया समूह Yug Darpan Media Samooh 
YDMS 9911111611,  7531949051, 9999777358, 9911383670. 
कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका;
विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,
 योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
 इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
http://dharmsanskrutidarpan.blogspot.in/2014/03/2071.html
http://jeevanshailydarpan.blogspot.in/2014/03/2071.html
पूरा परिवेश पश्चिम की भेंट चढ़ गया है | उसे संस्कारित, योग, आयुर्वेद का अनुसरण कर
हम अपने जीवन को उचित शैली में ढाल सकते हैं | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
हमें, यह मैकाले की नहीं, विश्वगुरु की शिक्षा चाहिए | आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक
जीवन ठिठोली नहीं, जीने का नाम है |
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Monday, February 24, 2014

नारी शक्ति (आधुनिक)

नारी शक्ति (आधुनिक) 
मित्रों, एक मित्र की यह व्यंग रचना (सम्पादित) साभार प्रस्तुत
**** फैशन की मारी – "भारतीय नारी" **** ...

नारी शक्ति के भिन्न भिन्न रूपों का जब भी उल्लेख होता है, तो हम यह चर्चा करना भूल जाते हैं कि कैसे युगों-युगों से भारतीय महिलाएं सर्दियों के मौसम में बिना स्वेटर और शॉल के शादियों में उपस्थित होती आ रही हैं। क्या आपने मेरे ब्लाउज़ का 'डिप कट' देख लिया? 

मित्रों...विवाह वाटिका के खुले मैदान की सर्द हवा में जहां पांच मिनट में ही पुरुषों के दांत कल्लू लोहार के चिमटे की भांति किटकिटाने की क्रांति करने लगते हैं, वहां ये वीर बालाएं डेढ़ सौ रुपये अतिरिक्त देकर बनवाए ब्लाउज के 'डीप यू कट' को दिखाने के लिए स्वेटर तक नहीं पहनतीं। स्वयं मेहनती होने के कारण जानती हैं कि 2 घंटे लगाकर मेहंदीवाले लड़के ने बांह पर जो 'बांका-टेढ़ा बूटा' बनाया है, 'सेल' में खरीदी ढाई सौ की शाल पहनकर मैं उसका बेड़ागर्क कैसे कर सकती हूं? फिर भले ही जगत बाऊजी आलोकनाथ वहां आकर उसके कंधे पर अपनी लोई क्यूं न डाल दें, ये रिक्शे में बिठाकर उन्हें भी वहां से बस स्टैंड के लिए प्रस्थान करा देंगी।

मित्रों...आज की इस भारतीय नारी को शीत लगने से एक सप्ताह तक रजाई के कवर से अपना नाक पौंछना स्वीकार है, किन्तु ये मम्मी का काला स्वेटर पहनकर उसके नीचे लहंगे की मैचिंग का बाजूबंद कैसे छिपा ले? कम समय में उस मासूम के सामने यूपीए सरकार से भी अधिक चुनौतियां रहती हैं। क्योंकि चार घंटे के उस उत्सव में उसे अपने तीनों परिधान पहनने होते हैं। हर नए परिधान पहनने से पहले ये पुष्टि भी करनी होती है, कि पुरानी वाला सभी ने देखा या नहीं। फिर बदलने के बाद यहां-वहां मोरनी बन घूमते ये गणना भी करनी पड़ती है कि मेरी अदाओं से घायल लोगों का आंकड़ा अन्तत: कहां तक पहुंचा? चूंकि सजना-संवरना दूसरों के लिए होता है और स्वेटर न पहनना शौर्य का काम है इसलिए मेरी प्रार्थना है कि अन्य शूरवीरों के साथ-साथ अगली 26 जनवरी से हर वर्ष ऐसी वीरांगनाओं का भी सम्मान होना चाहिए।मित्रों...जरा कल्पना करें, कि कैसा लगेगा! जब घोषणा होगी-पिंकी कुमारी, जिन्होंने अदम्य साहस, अटूट इच्छाशक्ति और अद्भुत पराक्रम का परिचय देते हुए भीषण शीतलहर के बीच इस ऋतु की सात शादियां बिना स्वेटर और शॉल के रहीं, ये सम्मान लेने के लिए हम मंच पर उनके पति को बुलाना चाहेंगे, क्योंकि वो स्वयं निमोनिया की शिकार होने के चलते अस्पताल में भर्ती हैं।
घर 4 दीवारी से नहीं 4 जनों से बनता है, परिवार उनके प्रेम
और तालमेल से बनता है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
http://jeevanshailydarpan.blogspot.in/2014/02/blog-post_24.html
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Thursday, February 13, 2014

भारतीय मूल्यों की प्रसांगिकता

भारतीय मूल्यों की प्रसांगिकता  जागो और जगाओ भा-2 !
जड़ों से जुड़ें, युगदर्पण मीडिया समूह YDMS से जुड़ें!!
विश्व कल्याणार्थ भारत को विश्व गुरु बनाओ !!!
(युग दर्पण राष्ट्रीय समाचार पत्र के अंक 16-22 फरवरी 2009 में सम्पादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित लेख, आज ब्लॉग के माध्यम पुन: प्रकाशित) Relevance of Indian values, ভারতীয় মূল্যবোধের সংশ্লিষ্টতা, ભારતીય કિંમતો અનુરૂપતા, ਭਾਰਤੀ ਮੁੱਲ ਦੇ ਸਬੰਧ, भारतीय मूल्यांचे संदर्भाप्रमाणे, ಭಾರತೀಯ ಮೌಲ್ಯಗಳ ಪ್ರಸ್ತುತತೆ, இந்திய மதிப்புகள் சம்பந்தம், భారత విలువలు ఔచిత్యం, 
विविधता तो भारत की विशिष्टता सदा से रही है किन्तुआज विविधता में एकता केवल एक नारा भर रह गया है!विभिन्न समुदायों में एहं व परस्पर टकराव का आधार जाति, वर्ग, लिंग,धर्म ही नहीं, पीडी की बदलती सोच मर्यादाविहीन बना विखंडन के संकेंत दे रही है! इन दिनों वेलेंतैनेडे के पक्ष विपक्ष में तथा आजादी और संस्कृति पर मोर्चे खुले हैं. वातावरण गर्मा कर गरिमा को भंग कर रहा है .
-बदलती सोच- एक पक्ष पर संस्कृति के नाम पर कानून में हाथ लेना व गुंडागर्दी का आरोप तथा व्यक्ति की स्वतंत्रता के अतिक्रमण के आरोप है! दूसरे पर आरोप है अपसंस्कृति अश्लीलता व अनैतिकता फैलाने कादूसरी ओर आज फिल्म टीवी अनेक पत्र पत्रिकाओं में मजोरंजन के नाम पर कला का विकृत स्वरूप देश की युवा पीडी का ध्यान भविष्य व ज्ञानोपार्जन से भटका कर जिस विद्रूपता की ओर ले जा रहा है! पूरा परिवार एक साथ देख नहीं सकता!
   घर से पढ़ने निकले 15-25 वर्ष के युवा इस उतेजनापूर्ण मनोरंज के प्रभाव से सार्वजनिक स्थानों (पार्को) में अर्धनग्न अवस्था व आपतिजनक मुद्रा में संलिप्त दिखाई देते हैं! जिससे वहां की शुद्ध वायु पाना तो दूर (जिसके लिए पार्क बने हैं) बच्चों के साथ पार्क में जाना संभव नहीं! फिर अविवाहित माँ बनना व अवैध गर्भाधान तक सामान्य बात होती जा रही है! हमारें पहिये संविधान और समाज की धुरियों पर टिके हैं तो इन्ही के सन्दर्भ के माध्यम स्तिथि का निष्पक्ष विवेचन करने का प्रयास करते हैं!
   विगत 6 दशक से इस देश में अंग्रजो के दासत्व से मुक्ति के पश्चात् इस समाज को खड़े होने के जो अवसर पहले नहीं मिल पा रहे थे मिलने लगे, इस पर प्रगतिशीलता और विकास के आधुनिक मार्ग पर चलने का नारा समाज को ग्राह्य लगना स्वाभाविक है! किन्तु दुर्भाग्य से आधुनिकता के नाम पर पश्चिम की अंधी दौड़ व प्रगतिशीलता के नाम पर "हर उस परम्परा का" विरोध व कीचड़ उछाला जाने लगा, जिससे इस देश को उन "मूल्यों आदर्शों संस्कारों मान्यताओं व परम्पराओं से पोषण उर्जा व संबल" प्राप्त होता रहा है! जिन्हें युगों युगों से हमने पाल पोस कर संवर्धन किया व परखा है तथा संपूर्ण विश्व ने जिसके कारण हमें विश्व गुरु माना है! वसुधैव कुटुम्बकम के आधार पर जिसने विश्व को एक कल्याणकारी मार्ग दिया है! विश्व के सर्वश्रेष्ट आदर्शो मूल्यों व संस्कारों की परम्पराओं को पश्चिम की नवोदित संस्कृति के प्रदूषित हवा के झोकों से संक्रमित होने से बचाना किसी भी दृष्टि से अनुचित नहीं ठहराया जा सकता
सहिष्णुता नैसर्गिक गुण- क्या हमने कभी समझने का प्रयास किया कि आजादी के पश्चात् जब मुस्लिम बाहुल्य पाकिस्तान एक इस्लामिक देश बना, तो हिन्दू बाहुल्य भारत हिन्दवी गणराज्य की जगह धर्मनिरपेक्ष लोकतन्त गणराज्य क्यों बना? यहाँ का बहुसंख्यक समाज स्वाभाव से सदा ही धार्मिक स्वतंत्रता व सहिष्णुता के नैसर्गिक गुणों से युक्त रहा है! धर्म के प्रति जितनी गहरी आस्था विभिन्न पंथों के प्रति उतनी अधिक सहिष्णुता का व्यवहार उतना ही अधिक निर्मल स्वभाव हमें विरासत में मिला है! विश्व कल्याण व समानता का अधिकार हमारी परम्परा का अंग रही है! उस निर्मल स्वभाव के कारण सेकुलर राज्य का जो पहाडा पडाया गया उसे स्वीकार कर लिया!
   60 वर्ष पूर्व उस पीडी के लोग जानते हैं, सामान्य भारतीय (मूल हिन्दू) स्वाभाव सदा ही निर्मल था! वे यह भी जानते हैं कि विश्व कल्याण व समानता के अधिकार दूसरो को देने में सकोच न करने वाले उस समाज को 60 वर्ष में किस प्रकार छला गया? उसका परिणाम भी स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रहा है! हम कभी हिप्पिवाद, कभी आधुनिकता के नाम खुलेपन (अनैतिकता) के द्वार खोल देते हैं! अब स्थिति ये है कि आज ये देश मूल्यहीनता, अनैतिकता, अपसंस्कारों, अपराधों व विषमताओं सहित;अनेकों व्याधियों, समस्याओं व चुनोतियों के अनंत अंधकार में छटपटा रहा है? उस तड़प को कोई देशभक्त ही समझ सकता है! किन्तु देश की अस्मित के शत्रुओं के प्रति नम्रता का रुझान रखने वाले देश के कर्णधार इस पीढा का अनुभव करने में असमर्थ दिखते हैं!
 निष्ठा में विकार- आजादी की लड़ाई में हिन्दू मुसलिम सभी वन्दे मातरम का नारा लगाते, उससे ऊर्जा पाते थे. उसमे वे भी थे जो देश बांटकर उधर चले गए, तो फिर इधर के मुसलमान वन्देमातरम विरोधी कैसे हो सकते थे ? आजादी के पश्चात अनेक वर्षो तक रेडियो टीवी पर एक समय राष्ट्रगीत, एक समय राष्ट्रगान होता था! इस सेकुलर देश के, स्वयं को "हिन्दू बाई एक्सिडेंट" कहने वाले प्रथम प्रधानमंत्री से दूसरे व तीसरे प्रधानमंत्री तक के काल में इस देश में वन्दे मातरम किसी को सांप्रदायिक नहीं लगा, फिर इन फतवों का कारण ?
  इस देश की मिटटी के प्रति समपर्ण, फिर कैसे कुछ लोगो को सांप्रदायिक लगने लगा? वन्देमातरम हटाने की कुत्सित चालों से किसने अपने घटियापन का प्रमाण दिया? उस समय अपराधिक चुपपी लगाने वालो को, क्यों हिन्दुत्व का समर्थन करने वालों से मानवाधिकार, लोकतंत्र व सेकुलरवाद संकट में दिखाई देने लगता है? 
हिन्दुत्व के प्रति तिरस्कार, कैसा सेकुलरवाद है?  जब कोई जेहाद या अन्य किसी नाम से मानवता के प्रति गहनतम अपराध करता है, तब भी मानवाधिकार कुम्भकरणी निद्रा से नहीं जागता? जब हिन्दू समाज में आस्था रखने वालों की आस्था पर प्रहार होता है, तब भी सता के मद में मदमस्त रहने वाले, कैसे, अनायास; हिन्दुत्व की रक्षा की आवाज सुनकर(भयभीत) तुरंत जाग जाते हैं? किन्तु उसके समर्थन में नहीं; भारतीय संस्कृति व हिन्दुत्व की आवाज उठाने वालों को खलनायक व अपराधी बताने वाले शब्द बाणों से, चहुँ ओर से प्रहार शुरू कर देते हैं!
   अभी 5 वर्ष पूर्व मंगलूर में पब की एक घटना पर एक पक्षिय वक्तवयो, कटाक्षों, से उन्हें कहीं हिन्दुत्व का ठेकदार, कहीं संस्कृती का ठेकदार का रूप में, फांसीवादी असहिष्णु व गुंडा जैसे शब्दों से अलंकृत किया गया! इसलिए कि उन्हें पब में युवा युवतियों का मद्यपान व अश्लील हरकतों पर आपति थी ? संभव है, इस पर दूसरे पक्ष ने (स्पष्ट:योवन व शराब की मस्ती का प्रकोप में) उतेजनापूर्ण प्रतिकार भी किया होगा? परिणामत दोनों पक्षों में हाथापाई? ताली दोनों हाथो से बजी होगी? एक को दोषी 
मान व दूसरे का पक्ष लेना क्या न्यायसंगत है?    जिस अपरिपक्व आयु के बच्चों को कानून नौकरी, सम्पति, मतदान व विवाह का अधिकार नहीं देता; क्योंकि अपरिपक्व निर्णय घातक हो सकते हैं; आकर्षण को ही प्रेम समझने कि नादानी उनके जीवन को अंधकारमय बना सकती है! उन्हें आयु के उस सर्वधिक संवेदनशील मोड़ पर क्या दिशा दे रहें हैं, हम लोग? जिस लोकतंत्र ने यहाँ आधुनिकाओं को अपने ढंग से जीने का अधिकार दिया है, उसी लोकतंत्र ने इस देश की संस्कृति व परम्पराओं के दिवानो को उस कि रक्षा के लिये, विरोध करने का अधिकार भी दिया है! यदि उन्हें जबरदस्ती का अधिकार नहीं है, तो तुम्हे समाज के बीच नैतिक, मान्यताओं, मूल्यों को खंडित करने का अधिकार किसने दिया? किसी की आस्था व भावनायों को ठेस पहुंचाने की आजादी, कौन सा सात्विक कार्य है?
गाँधी दर्शन- जिस गाँधी को इस देश की आजादी का पूरा श्रेय देकर व जिसके नाम से 60 वर्षों से उसके कथित वारिस इस देश का सता सुख भोग रहें है, उसकी बात तो मानेगे! उसने स्पष्ट कहा था 'आपको ऊपर से ठीक दिखने वाली इस दलील के भुलावे में नहीं आना चाहिय कि शराब बंदी जोर जबरदस्ती के आधार पर नहीं होनी चाहिये; और जो लोग शराब पीना चाहते हैं, उन्हें इसकी सुविधा मिलनी ही चाहिये! हम वैश्याल्यो को अपना व्यवसाय चलाने की अनुमति नहीं देते! इसी तरह हम चोरो को अपनी चोरी की प्रवृति पूरी करने की सुविधाए नहीं देते! मैं शराब को चोरी ओर व्यभिचार दोनों से ज्यादा निन्दनीय मानता हूँ!'
   जब इस बुराई को रोकने का प्रयास किया गया तो हाथापाई होने पर जैसी प्रतिक्रिया दिखाई जा रही है, वैसी उस बुराई को रोकने में क्यों नहीं दिखाई गयीइस बुराई को रोकने का प्रयास करने पर आज गाँधी को भी ये आधुनिकतावादी इसी आधार पर प्रतिगामी, प्रतिक्रियावादी व फासिस्ट घोषित कर देते?
   इस मदिरापान से विश्व मैं मार्ग दुर्घटनाएँ होती हैं! मदिरापान का दुष्परिनाम तो महिलाओं को ही सर्वाधिक झेलना पड़ता है! इसी कारण महिलाएं इन दुकानों का प्रबल विरोध भी करती हैं! किन्तु जब प्रतिरोध भारतीय संस्कृति के समर्थको ने किया है, तो उसमें गतिरोध पैदा करने की संकुचित व विकृत मानसिकता, हमे अपसंस्कृति व अनुचित के पक्ष में खड़ा कर, अनिष्ट की आशंका खड़ी करती है ??
समस्या व परिणाम- किन्तु हमारे प्रगतिशील, आधुनिकता के पाश्चात्यानुगामी गोरो की काली संताने, अपने काले कर्मो को घर की चारदीवारी में नहीं, पशुवत बीच सड़क करने के हठ को, क्यों अपना अधिकार समझते हैं? पूरे प्रकरण को हाथापाई के अपराध पर केन्द्रित कर, हिन्दू विरोधी प्रलाप करने वाले, क्यों सभ्य समाज में सामाजिक व नैतिक मूल्यों की धज्जियाँ उड़ाने व अपसंस्कृति फैलाने की सोच, का समर्थन करने में संकोच नहीं करते ? फिर उनके साथ में मंगलूर जैसी घटना होने पर, सभी कथित मानवतावादी उनके समर्थन में हिन्दुत्व को गाली देकर, क्या यही प्रमाण देना चाहते हैं: कि 1) भारत में आजादी का पश्चात, मैकाले के सपनो को पहले से भी तीर्वता से पूरा किया जा सकता है?
   2) जिस संस्कृति को सहस्त्र वर्ष के अन्धकार युग में भी शत्रुओ द्वारा नहीं मिटाया जा सका व आजादी के संघर्ष में प्रेरण हेतु देश के दीवाने गाते थे "यूनान मिश्र रोमा सब मिट गए जहाँ से, कुछ बात है कि अब तब बाकि निशान हमारा", आजाद भारत में उसके इस गौरव को खंडित करने व उसे ही दुर्लक्ष्य करने की आजादी, इस देश के शत्रुओं को उपलब्ध हो? क्या लोकतंत्र, समानता, सहिष्णुता के नाम पर ये छूट, हमारी अस्मिता से खिलवाड़ नहीं??
   केवल सता में बने रहना या सीमा की अधूरी, अनिश्चित सुरक्षा ही राष्ट्रिय अस्मिता नहीं है! जिस देशकी संस्कृति नष्ट हो जाती है, रोम व यूनान की भांति मिट जाता है! हमारी तो सीमायें भी देश के शत्रुओं के लिये खुली क्यों हैं? हमारे देश के कुछ भागो पर ३ पडोसी देश अपना अधिकार कैसे समझते हैं? वहां से कुछ लोग कैसे हमारी छाती पर प्रहार कर चले जाते हैं? हम चिल्लाते रह जाते हैं?   देश की संस्कृति मूल्यों मान्यताओ सहित इतिहास को तोड मरोड कर हमारे गौरव को धवंस्त किया जाता है! सरकार की ओर से उसे बचाने का कोई प्रयास नहीं किया जाता! क्योंकि हम धर्म निरपक्ष है? फिर, कोई और बचाने का प्रयास करे तो उसे कानून हाथ में लेने का अपराध माना जाता है? इस देश के मूल्यों आदर्शो की रक्षा न ये करेंगे न करने देंगे? फिर भी हम कहते हैं कि सब धर्मावलम्बीयों को अपने धर्म का पालन करने, उसकी रक्षा करनें का अधिकार है, अपनी बात कहने का अधिकार है? कैसा कानून कैसा अधिकार व कैसी ये सरकार? 
  जरा सोचे- व्यवहार में देखे, तो भारत व भारतीयता के उन तत्वों को दुर्लक्ष किया जाता है, जिनका संबध भारतीय संस्कृति, आदर्शो, मूल्यों व परम्पराओं से है! क्योंकि वे हिंदुत्व या सनातन परम्परा से जुड़े हैं? उसके बारे में भ्रम फैलाना, अपमानित व तिरस्कृत करना, हमारा सेकुलर सिद्ध अधिकार है?
   इस अधिकार का पालन हर स्तर पर होना ही चाहिये? किन्तु उन मूल्यों की स्पर्धा में जो भी आए उसे किसी प्रकार का कष्ट नहीं होने दिया जायेगा? हिन्दू हो तो, इस सब को सहन भी करो और असहिष्णु भी कहलाओ? सहस्त्र वर्ष के अंधकार में भी संस्कारो की रक्षा करने में सफल विश्व गुरु, दिन निकला तो एक शतक भी नहीं लगा पाया और मिट गया ! अगली पीडी की वसीयत यही लिखेंगे हम लोग?
   इस विडंबना व विलक्षण तंत्र के कारण हम संस्कृतिविहीन व अपसंस्कृति के अभिशप्त चेहरे को दर्पण में निहारे तो कैसे पहचानेगे? क्या परिचय होगा हमारा?..

पुनश्च: जागो और जगाओ भा-2 !
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विश्व कल्याणार्थ भारत को विश्व गुरु बनाओ !!!
  लेखक को जानें -संघर्ष का इतिहास 40 वर्ष लम्बा है, किन्तु 2001 से युगदर्पण समचारपत्र द्वारा सार्थक पत्रकारिता और 2010 से हिंदी ब्लॉग जगत में विविध विषयों के 28 ब्लॉग के माध्यम व्यापक अभियान चला कर 3 वर्ष में 60 देशों में पहचान बनाई है। तथा काव्य और लेखन से पत्रकारिता में अपने सशक्त लेखन का विशेष स्थान बनाने वाले, तिलक राज के 10 हजार पाठकों में लगभग 2000 अकेले अमरीका में हैं। 
तिलक राज रेलन, ऐसे वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिसने पत्रकारिता को व्यवसाय नहीं, सदा पवित्र अभियान माना है। वे कलम के धनी व युगदर्पण मीडिया समूह के संपादक हैं, जिसे केवल अपनी कलम के बल से चलाया जा रहा है । उनकी मान्यता है, कि मैकाले वादी कुचक्र ने केवल भ्रष्टाचार ही नहीं, जीवन के हर क्षेत्र को प्रदूषित किया है। यही कारण है, लड़ाई या सफाई भी व्यापक होनी चाहिए। -युग दर्पण प्रशंसक समूह YDPS 

-तिलक, तिलक राज रेलन संपादक युग दर्पण (9911111611), (7531949051) 9910774607  

"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है!
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे !!"- तिलक
फिल्म फैशन क्लब फंडा :--(चमकता काला सच)|

Monday, February 10, 2014

जागो और जगाओ!

जागो और जगाओ!
जड़ों से जुड़ें, युगदर्पण मीडिया समूह YDMS से जुड़ें!!
विश्व कल्याणार्थ भारत को विश्व गुरु बनाओ !!!
 मैकाले ने जिस प्रकार भारतीय जीवन के सभी अंगों को प्रदूषित किया है, उसे पुनः उचित सांचे में ढाल कर, भारत को विश्व गुरु के उसके खोये पद पर, पुनर्प्रतिष्ठित करने के उद्देश्य से बने, इस युगदर्पण मीडिया समूह YDMS  के 28 ब्लॉग का समूह, उन सभी देश भक्त लेखकों का आह्वान करता है, जो सोशल मीडिया पर जुड़े हैं तथा अच्छे लेखन से समाज को कुछ देना चाहते हैं। भारत की जड़ों से 60 से अधिक देशों में जुड़ा, एक प्रतिष्ठित वैश्विक मंच, आपके लेखन को वैश्विकता प्रदान करेगा, मैकालेवाद के विपरीत भारत माता को गौरवान्वित करेगा। इसकी सार्थकता हेतु, इसके विविध 28 विषय तथा उनकी गहनता व सोच पर विशेष बल दिया गया है। तभी सार्थक, सफल व लोकप्रिय होकर यह लक्ष्य को पूर्ण कर पायेगा। युगदर्पण मीडिया समूह YDMS के 28 ब्लॉग पर Live Traffic list से यह जानकर, कि वैश्विक स्तर पर आगंतुक आशा से कहीं अधिक थे। जहाँ एक सुखद अनुभूति हुई, वहाँ स्वयं पर, उन्हें उनकी आकांक्षा के अनुरूप सामग्री उपलब्ध करने का दायित्व पूरा कर पाने में असफल रहने का बोध भी। गहन राष्ट्रीय सोच के साथ विविध 28 विषय लेकर एक व्यापक मंच, जिस गम्भीरता से बनाया गया, सम्भवत: उसके अनुरूप लेखकों की टोली होती तो, यह प्रयास सर्वाधिक उपयोगी और सफल होता तथा इससे कहीं अधिक लोकप्रिय भी।
जब नकारात्मक बिकाऊ मीडिया जनता को भ्रमित करे, तब पायें 
नकारात्मक बिकाऊ मीडिया का सकारात्मक राष्ट्रवादी व्यापक सार्थक विकल्प, युगदर्पण मीडिया समूह YDMS.
यदि आप भी मुझसे जुड़ना चाहते हैं, तो आपका हार्दिक स्वागत है, संपर्क करें औऱ अपने सम्पर्क सूत्र सहित बताएं, कि आप किस प्रकार व किस स्तर पर कार्य करना चाहते हैं, तथा कितना समय देना चाहते हैं ? आपका आभार अग्रेषित है।
लेखक को जानें -संघर्ष का इतिहास 40 वर्ष लम्बा है, किन्तु 2001 से युगदर्पण समचारपत्र द्वारा सार्थक पत्रकारिता और 2010 से हिंदी ब्लॉग जगत में विविध विषयों के 28 ब्लॉग के माध्यम व्यापक अभियान चला कर 3 वर्ष में 60 देशों में पहचान बनाई है। तथा काव्य और लेखन से पत्रकारिता में अपने सशक्त लेखन का विशेष स्थान बनाने वाले, तिलक राज के 10 हजार पाठकों में लगभग 2000 अकेले अमरीका में हैं। 
तिलक राज रेलन, ऐसे वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिसने पत्रकारिता को व्यवसाय नहीं, सदा पवित्र अभियान माना है। वे कलम के धनी व युगदर्पण मीडिया समूह के संपादक हैं, जिसे केवल अपनी कलम के बल से चलाया जा रहा है । उनकी मान्यता है, कि मैकाले वादी कुचक्र ने केवल भ्रष्टाचार ही नहीं, जीवन के हर क्षेत्र को प्रदूषित किया है। यही कारण है, लड़ाई या सफाई भी व्यापक होनी चाहिए। -युग दर्पण प्रशंसक समूह YDPS 
 -तिलक, संपादक युगदर्पण मीडिया समूह  09911111611, 07531949051
A visitor from Caracas, Distrito Federalviewed "फ�Fल�Dम फ�8शन क�Dलब फ�2ड�E :--(चमकत�E क�Eल�E सच)"12 days 6 hours ago
फिल्म फैशन क्लब फंडा :--(चमकता काला सच)|